
बिहार विधानसभा चुनाव नतीजों के बाद जहाँ एनडीए नई सरकार बनाने में जुटा है, वहीं RJD के अंदर राजनीतिक और पारिवारिक दोनों फ्रंट पर हाई-वोल्टेज ड्रामा जारी है। विपक्ष का चेहरा बनने के बाद तेजस्वी यादव अब आधिकारिक तौर पर RJD विधायक दल के नेता चुने गए हैं।
बैठक में सभी नव-निर्वाचित विधायकों ने एक सुर में कहा— “तेजस्वी ही नेता!” (तेजस्वी पहले हिचकिचा रहे थे, पर लोकतंत्र में सर्वसम्मति का दबाव अलग ही चीज़ है!)
लालू और राबड़ी शिकायत-मोड में? मीटिंग बीच में छोड़ निकले बाहर
इससे भी बड़ा ड्रामा यह रहा कि लालू यादव और राबड़ी देवी मीटिंग खत्म होने से पहले ही बाहर चले गए। कारण—किसी ने नहीं बताया।
लेकिन राजनीति में “खामोशी = संदेश” होती है… और सबने इसे रोहिणी आचार्य विवाद से जोड़ दिया।
रोहिणी आचार्य vs तेजस्वी—परिवार की सियासत में ‘Family Man Season 3’ vibes!
लालू परिवार की बड़ी बेटी रोहिणी आचार्य ने तेजस्वी यादव, उनके भरोसेमंद साथी संजय यादव और रमीज नेमत पर गंभीर आरोप लगाए और परिवार व पार्टी से नाता तोड़ने का ऐलान कर दिया। RJD चुनाव हार से उबर भी नहीं पाई थी, उधर परिवार के भीतर “गृहयुद्ध vibes” शुरू हो गए।
राजनीति में हार बड़ी बात नहीं होती, पर जब परिवार ही विपक्ष बन जाए, तब असली चुनौती शुरू होती है!

बैठक में लालू का स्पष्ट संदेश—‘तेजस्वी ही भविष्य!’
RJD विधायक दल की बैठक खत्म होने के बाद सांसद अभय कुशवाहा ने बताया— लालू यादव ने साफ कह दिया, “तेजस्वी ने पार्टी के लिए मेहनत की है… और वही आगे के नेता हैं।”
यानी RJD में कमान एक बार फिर युवराज के हाथ।
Election Loss + Family Drama = RJD के लिए Double Tension
चुनाव में करारी हार के बाद पार्टी पहले ही सदमे में थी। अब पारिवारिक विवाद ने RJD की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। पार्टी अंदर से टूट रही है और बाहर विपक्ष की जिम्मेदारी भारी है। A political equation that sums it up- हार + कलह = Headache × 10
